सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥ नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥ मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥ तुरत षडानन आप https://ngkwinbet78901.mycoolwiki.com/7409940/getting_my_shiv_chaisa_to_work